बैंकों का विलय क्या लायेगा खाताधारकों में प्रलय
कानपुर देहात। आज से 10 बैंकों की जगह सिर्फ काम करेंगे 4 बड़े बैंक। ऐसे में बैंकों में क्या-क्या परिवर्तन देखने को मिलेंगें यह सबाल सभी के जहन में गूंज रहा है। आइये सवाल-जवाब से समझें खाताधारकों पर क्या होगा इसका असर 1 अप्रैल से देश के 10 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मिलाकर 4 बड़े बैंक बनाए गए हैं…
जैव आतंक के साये में दुनिया
मानव इतिहास बताता है कि इस धरती से युद्ध कभी खत्म नहीं हए। हम शांति की जितनी अधिक कामना करते हैं, उतनी ही अधिक लड़ाइयां दुनिया के किसी न किसी हिस्से में चलती रहती हैं। पड़ोसी देशों के बीच सीमाओं को लेकर अपने झगड़े हैं, संसाधनों के बंटवारे पर देशों में परस्पर संघर्ष हैं, तो आतंकवाद जैसी समस्या दुनिय…
कोरोना से लड़ने की आधी-अधूरी कवायद
कोरोना कितना फैलेगा, क्या-क्या कहर ढाएगा, कब थमेगा, यह तो अभी भविष्य के गर्भ में है। लेकिन अभी तक के घटनाक्रम से एक बात तो स्पष्ट है कि ऐसी बीमारियों से अकेले नहीं निपटा जा सकता। हमारे देश की तालाबंदी जिस तरह से लागू हुई उसने इस बुनियादी तथ्य को नजरंदाज कर दिया कि गरीब, मजदूर, दिहाड़ीदार का क्या हो…
जान है तो जहान है
पूरी दुनिया में कोरोना वायरस जो मौत का तांडव खेल रहा है और दुनिया जिस तरह आतंक में जी रही है, उसमें ओलंपिक खेलों के होने का कोई औचित्य नजर नहीं आ रहा था। यह संभव भी नहीं था क्योंकि अब तक ओलंपिक में भाग लेने वाले लगभग आधे खिलाड़ियों का फैसला भी नहीं हो सका था। महामारी के चलते तमाम खेलों की क्वालीफाइ…
कोरोना संक्रमण को लेकर कठघरे में चीन
कोरोना हफ्ते से ज्यादा का समय खो दिया जाता है। 23 जनवरी को वुहान में लॉकडाउन की घोषणा की जाती है, नतीजा यह कि और तीन सप्ताह हाथ से निकल गए। इस तरह देखा जाए तो जब वुहान में पहली बार वायरस की पहचान हुई तब से लेकर चीनी प्रशासन ने लगभग 7-8 हफ्तों तक न कोई ठोस काम किया न ही बाकी की दुनिया को इसकी को…
Image
जय और पराजय
जीवन हर पल एक रण है। कोई भी स्थिति हो या कोई भी काल, अंधेरा हो या रोशनी, खुशी हो या गम, जीवन संघर्ष हमेशा जारी रहता है। दुख के समय से तो हम जूझते ही हैं, पर खुशी के पलों को आगे तक सहेज कर रखना भी एक चुनौती है। तो, इस जीवनव्यापी जद्दोजहद के दौरान हम क्या कर सकते हैं? चीन के महान विचारक सुन जू का कहन…